नोएडा के सबसे बड़े बिल्डर के रूप में पहचना रखने वाले सुपरटेक के ओनर रजत अरोड़ा को ED आज कोर्ट में पेश करने वाली है।
ED ने रजत अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 3 दिनों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है।
बताया जा रहा कि सुपरटेक फ्लैट के बायर्स की शिकायत के बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में करीब 20 FIR दर्ज की गई है।
सुपरटेक कंपनी और उसके डायरेक्टर पर बायर्स ने आरोप लगाया है कि बुक किए गए फ्लैट्स के बदले खरीददारों से एडवांस रुपए लेकर उनके साथ धोखा करने जैसे आपराधिक साजिश में शामिल हैं।
ED का कहना है रजत अरोड़ा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इन्होंने लोगों के सिर से आशियाना छीनने का काम बड़ी ही निर्ममता से किया है। बता दें कि अरोड़ा बिल्डर्स के संगठन नेरेडको के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
जांच के दौरान ED को ये पता चला कि सुपरटेक लिमिडेट और इस ग्रुप की कंपनियों ने मकान खरीदने वालों से पैसा लिया और प्रोजेक्ट के लिए बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से टर्म लोन हासिल किया वहीं लोगों के पैसों का इस्तेमाल ग्रुप की दूसरी कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने के लिए किया गया, बाद में फिर उन जमीनों कर्ज लेने के लिए अस्थायी रूप से गिरवी रख दिया।
ED ने बताया कि अप्रैल में सुपरटेक और उसके डायरेक्टर की संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कुर्क किया गया था जिनकी कीमत लगभग 40 करोड़ रुपए थी।
जानिए क्या है पूरा मामला
इस साल ED ने सुपरटेक से जुड़ी करीब 40 करोड़ की प्रॉपर्टी को PMLA के तहत जब्त किया था। बैंकों से सुपरटेक ने 1500 करोड़ रुपए का लोन भी लिया था जो NPA घोषित हो चुका था।
जांच के दौरान ED को पता चला कि सुपरटेक और उसकी अन्य रियल एस्टेट कंपनियों ने बायर्स के साध बड़ी धोखाधड़ी की है। बायर्स से तो फ्लैट के नाम पर पैसे तो वसूल लिए उन्हें समय पर फ्लैट्स के दर्शन नहीं हुए।
इतना ही नहीं उन्हीं प्रोजेक्ट के नाम पर बैंक से जो लोन लिया था उससे और जमीनें भी खरीद ली गईं। आसान भाषा में कहें तो सुपरटेक के मालिक रजत अरोड़ा ने बैंक और बायर्स के करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की और उनके सपनों के महल से उन्हें दूर रखा है।